रोने की सज़ा न रुलाने की सज़ा है,ये दर्द मोहब्बत को निभाने की सज़ा है,हँसते हैं तो आँखों से निकल आते हैं आँसू,ये उस शख्स से दिल लगाने की सज़ा है..
dard bhari shayari gulzar ki
हँसते हुए ज़ख्मों को भुलाने लगे हैं हम,हर दर्द के निशान मिटाने लगे हैं हम,अब और कोई ज़ुल्म सताएगा क्या भला,ज़ुल्मों सितम को अब तो सताने लगे हैं हम..
वो आज खूने दिल से मेंहदी लगाये बैठे हैं,सारे किस्से मेरे दिल से लगाये बैठे हैं,ख़ामोशी में भी एक शोर है उनकी,सुर्ख जोड़े में खुद को बेवा बनाये बैठे हैं..
dard bhari shayari gulzar ki
कागज़ पे हमने भी ज़िन्दगी लिख दी,अश्क से सींच कर उनकी खुशी लिख दी,दर्द जब हमने उबारा लफ्जों पे,लोगों ने कहा वाह क्या गजल लिख दी..
जो था तुझ पर तेरी बातों पर,अब किसी और पर नहीं होता,इस कदर टूटा हूँ तेरे इश्क में,की अब तो यकीन पर भी यकीन नहीं होता..
dard bhari shayari gulzar ki
कभी दर्द है तो दवा नहीं,जो दवा मिली तो शिफा नहीं,वो ज़ुल्म करते हैं इस तरह,जैसे मेरा कोई खुदा नहीं..
dard bhari shayari gulzar ki
कह कर तुम बता नहीं सकते,प्यार को अपने जता नहीं सकते,फिर क्या फायदा तुम्हारी दोस्ती का,जब एक भी वादा तुम निभा नहीं सकते..
इस तरह मिली वो मुझे सालों के बाद,जैसे हक़ीक़त मिली हो ख्यालों के बाद,मैं पूछता रहा उस से ख़तायें अपनी,वो बहुत रोई मेरे सवालों के बाद..
dard bhari shayari gulzar ki
हम उम्मीदों की दुनियां बसाते रहे,वो भी पल पल हमें आजमाते रहे,जब मोहब्बत में मरने का वक्त आया,हम मर गए और वो मुस्कुराते रहे..
मोहब्बत वो हसीं गुनाह हैजो मैंने तुझसे ख़ुशी से किया हैपर मोहब्बत में इंतज़ार वो सजा हैसिर्फ इंतज़ार सिर्फ इंतज़ार सिर्फ इंतज़ार किया है..