gulzar ki dard bhari shayari

बिगड़ी गुई माशूका की तरह होता है ये इश्क साहब, न मनाओ तो इश्क होता है और ज्यादा देखभाल करो तो फालतू का एहसान होता है…

gulzar ki dard bhari shayari

गजब है इश्क़ -ऐ- दस्तूर साथ थे तो एक लफ़्ज़ ना निकला लवों से मेरे दूर क्या हुए कलम ने कहर मचा रखा है..

gulzar ki dard bhari shayari

मेरी तो हर सांस में एक सांस तेरी हैं, जो कभी सांस जो रुक जाए तो मौत मेरी हैं…

gulzar ki dard bhari shayari

जो हमारे जज्बातो की कद्र नही कर सकते, उनके पीछे पागल होना प्यार नहीं बेवकूफ़ी है…

gulzar ki dard bhari shayari

फिर किसी दर्द को सहलाकर सुजा ले आँखें फिर किसी दुखती हुई रग में छुपा दें नश्तर..

gulzar ki dard bhari shayari

खुद ही रोए और खुद ही चुप हो गए, ये सोचकर की कोई अपना होता तो रोने ना देता…

gulzar ki dard bhari shayari

टूट जाना चाहता हूँ  में  बिखर जाना चाहता हूँ, में फिर से निखर जाना चाहता हूँ, मानता हूँ मुश्किल हैं लेकिन.. में गुलज़ार होना चाहता हूँ..

gulzar ki dard bhari shayari

ग़ज़ब का एह्साह होता है, एक तरफा इश्क में न इज़हार की ख़ुशी न इंकार का गम..

gulzar ki dard bhari shayari

मेरा हक़ नहीं है तुम पर, ये जानता हु में, फिर भी न जाने क्यों, दुआओ में तुझको मांगना, अच्छा लगता है..

gulzar ki dard bhari shayari

जाते वक्त जिसने कहा था तेरे जैसे हजार मिलेंगे, वक्त की नसीहत तो देखो आज वही हमें गले लगाकर, बच्चो की तरह बिलख बिलख कर रोने लगे..