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love poem in hindi for girlfriend

 

 

 

बचपन का नादानी

जवानी के जोश सा लगता है

 

यह इश्क़ मुझे कुछ तुमसे लगता है

चांदनी में ढका कोई

 

 

 

खेत में बिखरी धूप सा लगता है

यह इश्क़ मुझे कुछ तुमसे लगता है

 

नज्मों में लिप्टा यह एहसास कोई

पेहले यह एहसास के स्कून सा लगता है

 

 

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यह इश्क़ मुझे कुछ तुमसे लगता है

खोये वक़्त में उम्मीद मैं छुपे जुनून सा लगता है

यह इश्क़ मुझे कुछ तुमसे लगता है…!!

 

 

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मेरी सांसों में इस कदर समाया न किजिएं..

दिल-ए-नादान की बेताबी यूँ बढ़ाया न किजिएं,

 

 

 

 

आपकी पायलों की आहट बेचैन कर देती है मुझे..

पहर-दो-पहर यूँ ज़ेहन में आया न किजिएं,

 

 

 

 

लबों के नीचे काला तिल ही काफी है मेरी मदहोशी खातिर..

गिरा के ज़ुल्फ़ों के लट ऐसे आशिक़ पर ज़ुल्म ढाया न किजिएं,

 

 

 

 

निगाहें यह तुम्हारी किसी कातिल से कम नहीं..

इन हसीं आँखों से मुझे रोज तड़पया न किजिएं,

 

 

 

 

पता होते हुए भी कि तराशी खूबसूरती हो आप..

आकर आईने के सामने उसे शर्म दिलाया न किजिएं,

 

 

 

 

न बुझ पाई मेरी आँखों की प्यास आज तक..

आकर ख्वाबों से आप इतनी जल्दी जाया न किजिएं,

 

 

 

 

अरे कुछ तो गुरुर करें  ऐसी चांद सी रुख्सार का..

ऐ हर बात मेरी मान जाया न किजिएं…!!

 

 

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हर शाम किसी के लिए, सुहानी नही होती

हर प्यार के पीछे कोई, कहानी नही होती

कुछ तो असर होता है, दो आत्मा के मेल का

वरना ( गोरी राधा )  सावले कान्हा की दीवानी न होती..!!

 

 

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मै शब्द रखता हूं, वो जस्बात उठाती है

मेरे कोरे कागजों पर, किसी कविता सी उतर जाती है

पर पूरी कविता में भी, वो कहाँ खरी उतरती है

 

 

 

रोज-रोज भला जन्नत से कहाँ, ऐसे परी उतरती है

मै उम्मीद न तोड़ दूं, इसलिए मेरा हाथ थामती है

 

 

 

मुझसे ज्यादा मेरे सपनों को, वो हकीकत मानती है

उसे रास्तों की परवाह नहीं है, वो खुद को लहर मानती है

एक लड़की है जो मुझे, मुझसे ज्यादा जानती है…!!

 

 

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अपने खुदा को भुलाकर,

आपको खुदा कहकर पुकारा है

अपनी यादों को भुलाकर,

तेरी यादों के दामन को संवारा है

अगर चाहते तो हम भी,

आपकी तस्वीर कागज़ पर उतार देते

लेकिन हमने आपकी

तस्वीर को दिल में उतारा है…!!

 

 

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