Home dard bhari shayari

dard bhari gulzar sahab ki shayri 2024: गुलजार की शायरी दर्द भरी, दर्द भरी गुलजार की शायरी

98
0
dard bhari gulzar sahab ki shayri 2024: गुलजार की शायरी दर्द भरी, दर्द भरी गुलजार की शायरी

गुलजार साहब, भारतीय सिनेमा के एक प्रमुख निर्माता, गीतकार और शायर हैं। उनकी शायरी का जबरदस्त असर हमारे दिलों पर हमेशा रहता है। dard bhari gulzar sahab ki shayri 2024: गुलजार की शायरी दर्द भरी, दर्द भरी गुलजार की शायरी, उनकी शायरी में दर्द, खुशी, प्यार और जीवन के हर पहलू की एक अद्वितीय छाप होती है।

dard bhari gulzar sahab ki shayri 2024

इस ब्लॉग पोस्ट में, हम गुलजार साहब की दर्द भरी शायरी के कुछ उदाहरण पेश करेंगे। गु लजार साहब की शायरी दर्द भरी और भावनाओं को सुन्दरता के साथ छूने वाली होती है। उनकी शायरी में एक अलग ही ज़ाहिर होती है जो हमारे दिल की सुनती है और हमें गहराईयों तक पहुंचाती है।

दर्द का एहसास दिल में बसा रखा है,

आँखों में आँसू छलका रखा है..

****

तेरे आगे ये दुनिया है पीछे कहाँ,

तेरी बज़्म है मेरे जीने की वजह..

****

गुलजार की शायरी दर्द भरी

 

उम्मीदों के साथ जीने का अंदाज़ रखो,

आसमान की ऊचाईयों को छूने का इरादा रखो..

****

जीवन की माया को समझो,

हर अदा उसकी खुदाई है..

****

ख़ुद को ज़मीर में छिपा रखो,

आइना बनकर दिल में बसा रखो..

****

अगर खुदा आज भी होता जमीन पर,

दुआओं की अवश्यकता न होती..

****

दर्द भरी गुलजार की शायरी

 

ज़िंदगी गुज़र रही थी बस इतने दिनों की,

ज़िंदगी भी इक अब तो दिखा रही है..

****

ख़ुद को तो खो दिया, ख़ुदा भी नहीं मिला,

ज़िंदगी रही तो तेरे आने की ख़बर नहीं मिली..

****

तेरे इश्क़ में जो भी दर्द है, वो दर्द बहुत ख़ूबसूरत है,

जो दर्द तेरे इश्क़ में नहीं, वो क़यामत है..

****

ज़िंदगी इतनी भी न भारी नहीं होती,

कि उसे हम एक शेर के रूप में पुकारे नहीं..

*****

अलविदा कहने का तुझे फ़र्ज़ नहीं होता,

तू जो चला गया है, तू जैसा कोई दूसरा नहीं होता..

*****

dard bhari gulzar sahab ki shayri 2024: गुलजार की शायरी दर्द भरी, दर्द भरी गुलजार की शायरी

इंसानों की उम्मीदों का क्या होगा,

जब रात को भी रोशनी ही नहीं रहेगी..

****

दिल का दर्द दिखाने के लिए आँखें होती हैं,

और दर्द छुपाने के लिए मुस्कान होती है..

****

गुलजार की शायरी

 

ज़िन्दगी की राहों में जब अकेलापन छा जाए,

तो याद कर लेना कि हमेशा हमारे पास खुदा है..

****

बस इतना सा ख्वाब है, तुम्हें चाहने का,

बस इतना सा ख्वाब है, तुम्हें पाने का,

ये दिल बेवजहा उम्मीदें रखता है,

कि कभी तुम्हें इसे पूरा करने का मौका मिलेगा..

****

दर्द की दस्तान लिखी जाती है,

यादों की किताब बनाई जाती है,

हर लम्हे की याद आती है,

और वो सब कुछ भुलाई जाती है..

****

gulzar sahab ki shayri

 

अधूरा सपना, अधूरा अफसाना,

दिल में छूटे ख्वाब, आँखों में आंसू,

ये कैसा रिश्ता है, ये कैसी दूरियाँ हैं,

ज़िंदगी ने हमें एक दूसरे से छीना है..

****

अब भी ज़िंदा हूँ, अब भी तन्हा हूँ।

दर्द की राहों में, ख़ुद को ढूंढता हूँ।

ज़िंदगी ने दिया है धोखा,

पर मैं फिर से खड़ा हूँ, ज़िंदा हूँ..

****

dard bhari gulzar sahab ki shayri

 

छोटी सी कहानी, बड़े दर्द की।

ज़िंदगी की लड़ाई, अधूरी कहानी।

ख़ुशी की तलाश में, रोज़ ये भटकता हूँ।

पर अपनी ख़ुद की ख़ुशी को भूल जाता हूँ..

****

तेरी आँखों की गहराई में,

मैं खो जाता हूँ।

वो दर्द और गम, जो मैं छुपा लेता हूँ।

तेरे होंठों की मुस्कान में,

मैं जी लेता हूँ।

वो ख़ुशी और आनंद, जो मैं ढूंढ़ लेता हूँ..

****

hindi dard bhari gulzar sahab ki shayri

 

रिश्तों की गहराई में दर्द छुपा होता है,

आंखों की जुबान पर अक्सर अंसू होता है।

ज़िंदगी के सवालों का जवाब नहीं होता,

पर रिश्तों की मिठास बदल जाती है..

****

ख़त्म हो गई ज़िंदगी, अधूरी कहानी।

दर्द और गम ने की हमें ज़िंदगी से दूरी।

पर फिर भी ज़िंदा है ये दिल,

जो बेवजहा तेरे लिए धड़कता है..

****

अधूरी मोहब्बत ने छीन लिया है सबकुछ,

ख़ुश रहने की आदत भी खो दी है।

दर्द भरे गीतों की ज़रूरत नहीं है,

क्योंकि दर्द अब तेरे नाम हो गया है..

****

ज़िंदगी का सफर था, राहों का जाल था।

दर्द और गम का बगीचा था, ख़ुशी का ख़ज़ाना था।

हर मोड़ पर था एक नया मंज़र,

पर दिल ने हमेशा अपना ही घर चुना..

****

dard bhari gulzar sahab ki shayri

 

रात की तन्हाई में बैठा हूँ,

दर्द भरी यादों को याद करता हूँ।

ज़िंदगी के सवालों का जवाब नहीं है,

पर तन्हाई में भी तेरी याद आती है..

****

दिल की दरारें छूपी होती हैं,

आंखों की जुबान पर अक्सर अंसू होता है।

ज़िंदगी के रंग बदलते रहते हैं,

पर दर्द की एहसास कभी कम नहीं होता है..

****

dard bhari gulzar sahab ki shayri 2024: गुलजार की शायरी दर्द भरी, दर्द भरी गुलजार की शायरी

अधूरी यादें बहुत हैं,

ज़िंदगी के रास्तों पर बिखरी हुई।

दर्द और गम की छाया है यहाँ,

पर ख़ुशी की रौशनी भी ज़िंदा है यहाँ..

****

ख़त्म हो गया सफर, बस यादें रह गईं।

दर्द और गम की महफ़िल में बह गईं।

ज़िंदगी की राहों में थे बहुत संघर्ष,

पर फिर भी ख़ुद को ख़रीद गए हम..

****

अकेलापन की छाया में बैठा हूँ,

दर्द और गम को गले लगाता हूँ।

ज़िंदगी के सवालों का जवाब नहीं है,

पर अकेलापन में भी ख़ुद को ढूंढ़ता हूँ..

****

रास्तों की तलाश में बह रहा हूँ,

दर्द और गम को छोड़ कर जाने की ख्वाहिश है।

ज़िंदगी के रंग बदलते रहते हैं,

पर ख़ुशी की तलाश नहीं बदलती है…

****

अधूरी ज़िंदगी बहुत है,

ख़ुशियों की कहानी अधूरी है।

दर्द और गम की छाया है यहाँ,

पर ज़िंदगी की रौशनी भी ज़िंदा है यहाँ..

****

तन्हाई की रातें बहुत हैं,

दर्द और गम की बारिश है।

ज़िंदगी के सवालों का जवाब नहीं है,

पर तन्हाई में भी तेरी याद आती है..

****

दिल की आहें सुनता हूँ,

दर्द और गम को छोड़ कर जाने की ख्वाहिश है।

ज़िंदगी के रंग बदलते रहते हैं,

पर ख़ुशी की तलाश नहीं बदलती है..

****

2 line dard bhari gulzar sahab ki shayri

 

हमसे नफरत करने वाले कमाल का हुनर रखते हैं,

हमें देखना नहीं चाहते फिर भी नज़र रखते हैं..

****

उसने पूछा आजकल क्या करते हो,

बोल दिया  मोहब्बत के सिवा सब करता हु…

****

दुपट्टा क्या रख लिया सर पे वो दुल्हन नजर आने लगी,

उसकी तो अदा हो गयी जान हमारी जाने लगी..

****

उल्फत का अक्सर यही दस्तूर होता है,

जिसे चाहो वही अपने से दूर होता है,

दिल टूट कर बिखरता है इस क़दर,

जैसे कोई कांच का खिलौना चूर चूर होता है..

****

इंसान कितना भी किस्मत वाला क्यों न हो,

फिर भी ज़िंदगी में कुछ खुवाईसे अधूरी रह जाती है..

****

दर्द के सिवा कुछ नहीं मिला,

मोहब्बत करके हसी क्या होती है,

जीते जी कभी जी नही पायेंगे अब..

****

इश्क़ की तलाश में क्यों निकलते हो तुम,

इश्क़ खुद तलाश लेता है जिसे बर्बाद करना होता है..

****

तेरे बगैर किसी और को देखा नहीं मैंने,

सुख गया वो तेरा गुलाब मगर फेका नहीं मैंने..

****

सुकून की रात मुझे,

दर्द देने लगी जब मेरी मोहब्बत किसी,

और को मोहब्बत को लेने लगी..

****

भूली हुई सदा हू मुझे याद कीजिए,

तुम से कहीं मिला हू मुझे याद कीजिए..

****

कभी जिंदगी एक पल में गुजर जाती है,

कभी जिंदगी का एक पल नहीं गुजरता..

****

हम अपनी रूह तेरे जिस्म में छोड़ आये,

तुझे गले से लगाना तो एक बहाना था..

****

gulzar sahab ki shayri hindi

 

मैंने मौत को देखा तो नहीं,

पर शायद वो बहुत खूबसूरत होगी,

कमबख्त जो भी उससे मिलता हैं,

जीना ही छोड़ देता हैं..

****

चुभता तो मुझे भी है बहुत कुछ तीर की तरह,

पर फिर भी खामोश हु मै अपनी तकदीर की तरह..

****

जिंदगी के हर दौर में हमसे ढेरों लोग जुड़ते हैं,

लेकिन बहुत कम लोग ऐसे होते हैं,

जो ईमानदारी से रिश्ते को उम्र भर निभाते हैं..

****

मेरा हो जा मुझे-ए-यार मुकम्मल कर दे,

या मुझे छोड़ दे इनकार मुकम्मल कर दे,

तू जो खुश है तो यही बात मुझे काफी है,

जीत जा मुझसे मेरी हार मुकम्मल कर दे…

****

gulzar ki shayari 4 line

प्यार किया बदनाम हो गए,

चर्चे हमारे सरेआम हो गए,

ज़ालिम ने दिल उस वक़्त तोडा,

जब हम उसके गुलाम हो गए..

****

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here