गुलज़ार की दर्द भरी शायरी: gulzar shayari zindagi ka ek dard. गुलजार की शायरी जिंदगी. gulzar shayari zindagi ka ek dard hai. gulzar shayari zindagi ka ek dard na jane. Gulzar Shayari in Hindi 2 Lines. गुलजार की शायरी दर्द भरी, गुलजार शायरी जिंदगी. गुलज़ार शायरी इन हिंदी. गुलज़ार शायरी इन हिंदी पीडीएफ.गुलज़ार शायरी इन हिंदी Love sad.
gulzar shayari zindagi ka ek dard
न मेरा एक होगा,
न तेरा लाख होगा,
न तारीफ़ तेरी
न मेरा मजाक होगा,
गुरूर न कर शाह-ए-शरीर का,
मेरा भी खाक होगा,
तेरा भी ख़ाक होगा…
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छोड़ दो ये बहाने
जो तुम करते हो,
हमें भी अच्छे से मालूम है
मज़बूरियाँ तभी आती हैं
ज़ब दिल भर गया हो..
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shayari zindagi ka ek dard hai
एक सपने के टूटकर
चकनाचूर हो जाने के बाद
दूसरा सपना देखने के
हौसले का नाम जिंदगी हैं..
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देर से गूंजते हैं सन्नाटे,
जैसे हमको पुकारता है कोई
कल का हर वाक़िया था
तुम्हारा आज की दास्ताँ है हमारी..
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ek dard zindagi ka aisa bhi
मेरी कोई खता तो साबित कर
जो बुरा हूं तो बुरा साबित कर
तुम्हें चाहा है कितना तू क्या जाने
चल मैं बेवफा ही सही
तू अपनी वफ़ा साबित कर..
Meri koi Khata to sabit kar
Jo Bura Hun To Bura sabit kar
Tumhen Chaha Hai Kitna tu kya Jaane
Chal Main Bewafa Hi Sahi
Tu Apni Wafa sabit Kar..
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गुलज़ार की दर्द भरी शायरी
दीवाने तो हम उसे देखकर हुआ करते थे,
मिलना तो बस एक बहाना होता था,
जान छिड़कते थे उसकी अदाओं पर,
बस हमारा शर्माना ही तो प्यार का पैमाना होता था..
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तुम्हें मोहब्बत कहां थी
तुम्हें तो सिर्फ़ आदत थी
मोहब्बत होती तो हमारा
पल भर का बिछड़ना भी
तुम्हे सुकून से जीने नहीं देता..
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दर्द भरी शायरी हिंदी में लिखी हुई SMS
कोई जिस्म पर अटक गया ,
कोई दिल पर अटक गया
इश्क उसका ही मुकमल हुआ
जो रूह तक पहुच गया..
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मेरे किरदार से वाकिफ़
होने की कोशिश मत कर
उसे समझने में दिल लगेगा
और तुम दिमाग लगते हो…
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gulzar shayari ek dard tanhaiyon ka
तन्हाई की दीवारों पर,
घुटन का पर्दा झूल रहा हैं,
बेबसी की छत के नीचे,
कोई किसी को भूल रहा हैं..
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मेरा हक़ नहीं है तुम पर,
ये जानता हु में,
फिर भी न जाने क्यों,
दुआओ में तुझको मांगना,
अच्छा लगता हे.
Mera hak nahi hai tum par,
Yeh jaanta hun mein,
Phir bhi na jane kyon,
Duao mein tujhko mangna,
Achha lagata he.
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gulzar shayari zindagi ka ek dard
सामने आया मेरे देखा भी,
बात भी की मुस्कुराए भी,
किसी पहचान की खातिर कल का
अखबार था बस देख लिया रख भी दिया..
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गुलज़ार की दर्द भरी शायरी
मैं कभी सिगरेट पीता नहीं
मगर हर आने वाले से पूछ लेता हूँ
कि माचिस है?
बहुत कुछ है जिसे मैं फूँक देना चाहता हूँ.
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तेरी तरह बेवफा निकले
मेरे घर के आईने भी,
खुद को देखूं
तेरी तस्वीर नजर आती है…
Teri Tarah Bewafa Nikale
Mere Ghar Ke Aaine Bhi,
Khud Ko Dekhu
Teri Tasveer Nazar Aati Hai…
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gulzar shayari zindagi ka ek dard aisa bhi
महफ़िल में गले मिल कर
वह धीरे से कह गए,
यह दुनिया की रस्म है,
इसे मुहोब्बत मत समझ लेना.
Mahafil Mein Gale Mil kar
Wah Dheere Se Kah Gaye,
Yah Duniya Ki Rasm Hai,
Ise Mohabbt Mat Samajh Lena.
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गुलजार की शायरी जिंदगी.
मेरे दर्द को भी आह का हक़ हैं,
जैसे तेरे हुस्न को निगाह का हक़ है.
मुझे भी एक दिल दिया है भगवान ने.
मुझ नादान को भी एक गुनाह का हक़ हैं.
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ना इज्जत कम होती ना शान कम होती,
जो बात तुमने घमंड में कहीं हैं,
वो बात हस के बोली होती
तो तुम्हारी खूब तारीफ होती..
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